Friday

हमारी निशानी हैं ये चाँद साँसें, इन्ही के सहारे कारवां ज़िंदगी के...


 
अजब है ये सफ़र जिंदगानी,
हम आये अकेले, औ' तनहा चले हैं|
ये कैसा निराला चलन है यहाँ का,
हम आये हैं रोते, रुला कर चले हैं||

ये कैसा अनोखा अजब सा है मेला,
न कोई है तेरा, न तू है किसी का|
मगर फिर भी लगता है, हम सब बंधे हैं
किसी डोर से है ये रिश्ता सभी का ||

ये लगता है जैसे जहां है हमारा,
हम्हीं ने ज़मीं आस्मां है बनाए|
हमारे ही दम से है रौनक यहाँ की,
हम्हीं ने यहाँ चाँद तारे सजाये||

हमारे ही दम से है ठंडी हवाएं
खिली शोख कलियाँ, चमन मुस्कुराये|
ये कोयल की मस्ती, पपीहे के नगमे,
यहीं बादलों ने ही मोती लुटाये|| ...

ये समझे थे हम हैं खुदा इस ज़मीं के,
न समझे की हम हैं मुसाफिर यहाँ के|
हमारी निशानी हैं ये चाँद साँसें,
इन्ही के सहारे कारवां ज़िंदगी के||