Sunday
...ये कौन जा रहा है जो, उदास है कली, कली...
ये कौन जा रहा है जो
उदास है कली, कली...
यह हवा ये शाम भी
क्यूँ आज है घुटी, घुटी।
चाँद की भी चांदनी
क्यूँ आज है छुपी छुपी।
खामोश हैं क्यूँ महफ़िलें,
वीरान सा चमन पड़ा...
...ये कौन जा रहा है जो, उदास है कली, कली...
क्यूँ बेसुरी सी बीन है,
न ताल है, न राग है।
कांपती हैं उंगलियाँ,
औ' तड़पते ये तार हैं॥
यह दूर कोई गा रहा,
या तड़पती है रागनी...
...यह कौन जा रहा है जो, उदास है कली, कली...
आसमान के मेघ भी,
यूँ उड़ रहे इधर उधर।
दिल में छुपाये आग वो,
यूँ जा रहे किधर-किधर।
ढूंढती गली-गली,
भटक रही है चांदनी
..ये कौन जा रहा है जो, उदास है कली-कली...
यह महफ़िलों की रौनकें,
ये कहकहे, वो फब्वियाँ।
वो शायरों की बानगी,
सरदार की कहानियां।
तेरी गली, वो चुटकुले,
है गूंजते गली-गली...
...ये कौन जा रहा जो, उदास है कली-कली...
जा मुबारक हो तुझे,
तेरा सफ़र, तेरी गली।
हम करेंगे याद तेरी,
वो हंसी, जिंदादिली।
अलविदा, जा कर करो,
आबाद तुम अपनी गली...
...ये कौन जा रहा है जो, उदास है कली-कली....
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