Monday

आ आ स्वतंत्रता के प्रभात - १५ अगस्त १९४७



Amma had written this poem on August 15, १९४७... and what a day it must have been to have lived in!:

ओ स्वतंत्रता के शुभ प्रभात
तेरे स्वागत को आज तात,
प्रस्तुत है भारत का समाज।...


कुछ चाह लिए, उत्साह लिए,
सुखमय जीवन की आस लिए,
कुछ प्यास लिए, विश्वास लिए,
उत्सुक हैं कितने नयन आज,
आ आ स्वतंत्रता के प्रभात।...

आज प्रकृति कितनी चंचल,
ये माँ का हरियाला आँचल,
लहराता है क्षणक्षण प्रतिपल,
तन पुलक रहा, मन झूम रहा,
भारत स्वतंत्रता चूम रहा,
कैसा स्वदेश प्रत्फुल्ल आज,
आ आ स्वतंत्रता के प्रभात...


1 comment:

Expressions said...

This is all together different experience, heard lot of stories about the day, but something so direct, for the first time.